जैसा कि विदित ही है कि उसी स्थान पर कमत ने मुनि अवस्था में ध्यानस्थ पार्श्वनाथ के ऊपर उपसर्ग किया तो देवों का आसन कम्पायमान हुआ और अपने परोपकारी पर वह उपसर्ग जानकर धर्णन्द्र एवं पद्मावती भगवान की भक्ति के लिए स्वर्ग से आ गये और इसी बीच भगवान को केवलज्ञान हो गया अतः पद्मासन माता का उद्गम स्थान श्री अहिच्छत्र ही है। उनकी भक्ति करने एवं अपनी मनोकामना पूरी करने हजारों श्रद्धालु यहाँ दूर-दूर से आकर अपना मनोरथ पूर्ण करते हैं एवं समय-समय पर अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर विशेष दान भी देते हैं।